उत्तर पूर्वी राज्यों की विद्युत शक्यता
जल विद्युत के क्षेत्र में पूर्वोत्तर राज्यों की शक्यता लगभग 58971 मेगावाट है जो कि पूरे देश की जल विद्युत शक्यता का लगभग 40% है। इसके अतिरिक्त, इन राज्यों के पास ताप विद्युत उत्पन्न करने के लिये कोयला, तेल तथा गैस के प्रचूर संसाधन उपलब्ध है। इतनी विशाल क्षमता होने के बावजूद देश की तुलना में प्रति व्यगक्ति ऊर्जा खपत सबसे कम है। इसका मुख्य् कारण विकट जलवायु परिस्थितियॉ, दूरस्थम अवस्थिति तथा भौगोलिक स्थिति की अगम्यमता की वजह से कम औद्योगिकरण का होना है।
आधारभूत संरचना तथा संचार सुविधा में निरंतर विकास कर पूर्वोत्तार क्षेत्र अपनी विशाल विद्युत शक्यतता विशेष कर जल क्षेत्र का विकास कर भारत का विद्युत गृह बनने के पथ पर अग्रसर है।

जल विद्युत :
पूर्वोत्तर क्षेत्र में लगभग 58971 मेगावाट की विशाल जल-विद्युत शक्यता है, जिसमें से 1727 मेगावाट (लगभग 2.92%) का ही 1 जुलाई,2020 तक दोहन हो सका है। अन्य 2300 मेगावाट जल-विद्युत परियोजना का निर्माण कार्य चल रहा है। शेष 93.17% का दोहन बाकी है। पूर्वोत्तर क्षेत्र की स्थापित जल-विद्युत क्षमता में नीपको का योगदान 1,225 मेगावाट यानी लगभग 70.93% का है।

प्राकृतिक गैस :
देश में 1380.63 बीसीएम की तुलना में 195.68 बीसीएम का सुरक्षित भंडार है।

कोयला :
देश में 326.49 बिलियन टन की तुलना में 1630 मिलियन टन का सुरक्षित भंडार है ।
